Electric Cell क्या होता है और यह कितने प्रकार का होता है

Electric Cell क्या होता है और यह कितने प्रकार का होता है

Electric Cell In Hindi :- इलेक्ट्रिक सेल की परिभाषा : 1 ऐसी डिवाइस जो कि केमिकल एनर्जी को इलेक्ट्रिकल एनर्जी में बदलता है. आपने अक्सर छोटी या बड़ी घड़ियों में  सेल देखा होगा. यह सेल रासायनिक अभिक्रिया द्वारा इलेक्ट्रिसिटी बनाता है. सेल से मिलने वाली इलेक्ट्रिकल एनर्जी DC होती है. यह एक प्रकार की बैटरी होती है. जिसका आविष्कार जर्मन के एक वैज्ञानिक Carl Gassner ने 1886 में किया था.लेकिन इससे पहले wet zinc-carbon batteries का आविष्कार Georges Leclanché ने 1866 में किया था.

आज  सेल का इस्तेमाल बहुत सी डिवाइस में किया जाता है जैसे कि केलकुलेटर, घड़ी, छोट वीडियो गेम इत्यादि में.इसका इस्तेमाल Portable Electrical Devices के लिए सबसे ज्यादा किया जाता है. ऐसी इलेक्ट्रिकल की डिवाइस जिन्हें हम हर समय बिजली के साथ में जोड़ कर नहीं रख सकते जैसे कि Hand Light, कैलकुलेटर, घड़ी, इमरजेंसी लाइट इत्यादि.
सेल मुख्य दो प्रकार के होते हैं.

1.प्राइमरी सेल (Primary cell )
2. सेकेंडरी सेल ( Secondary Cell )

1.प्राइमरी सेल (Primary cell )

हमारे घर की गाड़ियों में इस्तेमाल होने वाले सेल, हमारे टीवी के रिमोट में इस्तेमाल होने वाले सेल, प्राइमरी सेल का ही उदाहरण है. प्राइमरी सेल रसायनिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलते हैं. और प्राइमरी सेल को सिर्फ एक ही बार इस्तेमाल किया जा सकता है. उन्हें दोबारा रिचार्ज नहीं किया जा सकता इसीलिए हमारे घर में अगर घड़ी का या टीवी के रिमोट के सेल खत्म हो जाए तो हमें वहां पर नए सेल डालने पड़ते हैं. यह कम समय के लिए और कम करंट के लिए होते हैं. एक सामान्य सेल आपको 1.5 V तक की DC सप्लाई दे सकता है . सेल डिस्चार्ज होने का समय इसके अंदर इस्तेमाल किए गए पदार्थ पर निर्भर करता है कि यह सेल कितने दिन या कितने समय तक चलेगा.

प्राइमरी सेल कैसे काम करता है

प्राइमरी सेल में दो अलग-अलग धातु की प्लेटों को किसी रासायनिक पदार्थ में रखा जाता है और उस में होने वाली रासायनिक अभिक्रिया के कारण रासायनिक ऊर्जा विद्युत ऊर्जा में बदल जाती है. प्राइमरी सेल को चेक करने के लिए आप इसके दोनों सिरों पर कोई छोटा टोर्च बल्ब लगा कर देख सकते हैं .अगर टोर्च बल्ब सही है और यह नहीं चल रहा तो इसका मतलब आपका सेल खत्म हो चुका है. और आपको नया सेल लेने की जरूरत है.

सेल के भाग ( Parts Of Cell ) :– सेल के मुख्य 3 भाग होते हैं

1. इलेक्ट्रोड प्लेट
2. इलेक्ट्रोलाइट
3. कंटेनर

बहुत से लोगों को नहीं पता कि cell kitne prakar ke hote hai या कई लोग सोचते हैं कि सेल सिर्फ एक ही प्रकार का होता है. लेकिन सेल कई प्रकार के होते हैं. और प्राइमरी सेल भी कई प्रकार के होते हैं जिनके बारे में नीचे आपको विस्तार से बताया गया है.

Voltaic Cell (वोल्टेइक सेल)

वोल्टेइक सेल क्या होता है : वोल्टेइक सेल एक साधारण प्राइमरी सेल होता है जिस का आविष्कार 1800 के आसपास एलेग्जेंडर वोल्टा ने किया था इसी वैज्ञानिक के नाम पर इस सेल का नाम वोल्टेइक सेल रखा गया इसके अनुसार कांच के बर्तन में हल्का गंधक का अमल होता है. उस बर्तन में एक तांबे की छड़ और दूसरी कुछ दूरी पर जिंक की छड़ रखी जाती है. लेकिन इसमें किसी प्रकार की कोई रसायनिक अभिक्रिया नजर नहीं आती. अगर इन दोनों छड़ों को एक तांबे की तार से जोड़ा जाए तो छड से बुलबुले उठने लगते हैं और अगर इस समय तार की जगह बल्ब लगाया जाए तो वह जलने लगेगा . इसी प्रकार वोल्टेज से काम करता है.

वोल्टेइक सेल की विशेषता

  1. यह सेल बहुत छोटा और हल्का होता है इस कारण इसे आसानी से कहीं पर भी ले जाया जा सकता है.
  2. वोल्टेइक सेल तुरंत विद्युत प्रदान करता है
  3. वोल्टेइक सेल की कीमत बहुत कम होती है और इसकी देखभाल करने की भी आवश्यकता नहीं होती
  4. यह सेल कम करंट कैपेसिटी से बने होते हैं
  5. अगर यह सेल एक बार खराब हो जाए तो दोबारा इन्हें ठीक नहीं किया जा सकता
  6. जहां पर कम करंट का इस्तेमाल करना हो वहां के लिए यह साल बहुत ही फायदेमंद होते हैं.

शुष्क सेल (Dry Cell)

Dry Cell In Hindi : यह एक सूखा सेल होता है जिसमें किसी प्रकार का गोल नहीं होता इन को आसानी से उल्टा या सीधा किसी भी प्रकार से इस्तेमाल किया जा सकता है इस में जिंक का एक बेलनाकार कंटेनर होता है यह जिनका मिलना का कंटेनर नेगेटिव सिरे का काम करता है इसके बीच में एक कार्बन की छड़ होती है जिसके चारों तरफ एक कपड़े की थैली होती है. जिसमें जिंक क्लोराइड अमोनिया क्लोराइड कार्बन का पाउडर और मैंगनीज डाइऑक्साइड का पेस्ट बना कर डाला जाता है कार्बन की छड़ को पॉजिटिव टर्मिनल के रूप में इस्तेमाल किया जाता है और जिंक का बेलनाकार कंटेनर इसमें नेगेटिव टर्मिनल के रूप में इस्तेमाल किया जाता है.

इसमें थैली के चारों तरफ प्लास्टर ऑफ पेरिस भर दिया जाता है जिससे यह और भी मजबूत हो जाता है. जिंक के कंटेनर को कारण बोर्ड लगाकर बंद कर दिया जाता है. और कार्बन की छड़ को पीतल की छोटी सी तरफ से सील कर देते हैं जब पॉजिटिव और नेगेटिव टर्मिनल को किसी तार आदि से जोड़ा जाता है तो इसमें रसायनिक क्रिया शुरू हो जाती है. और इसी रासायनिक क्रिया के कारण इलेक्ट्रिसिटी पैदा हो जाती है.

डेनियल सेल (Daniel Cell)

डेनियल सेल में दो तरह के कंटेनर का इस्तेमाल किया जाता है .यदि सेल के लिए तांबे का कंटेनर इस्तेमाल करते हैं. तो इसमें कॉपर सल्फेट का घोल भरा जाता है.तांबे के कंटेनर की जगह अगर कांच का कंटेनर इस्तेमाल किया जाए तो इसमें एक तांबे की छड़ रखी जाती है. सेल में तांबे का कंटेनर पॉजिटिव टर्मिनल का काम करता है इस कंटेनर में एक छिद्र वाला कंटेनर होता है. जिसमें हल्का गंधक का अमल भरा जाता है. फिर इस हल्के गंधक अमल में एक जिंक की छड़ रखी जाती है. जो कि नेगेटिव टर्मिनल का काम करती है जिनकी इस छत पर पारा की एक परत चढ़ी होती है जिसे Local Action नहीं होता.

जब पॉजिटिव टर्मिनल और नेगेटिव टर्मिनल को किसी तार या लोड के साथ जोड़ा जाता है तो इसमें रसायनिक क्रिया शुरू हो जाती है जिससे चीन की छड़ गंधक अम्ल से क्रिया करके जिंक सल्फेट और हाइड्रोजन बनाती है

Zn+H2SO4 -> ZnSO4 + H2

यह हाइड्रोजन आयन विद्युत क्या इनके साथ में को पर चढ़ तक पहुंचते हैं और उस से क्रिया करके गंधक अमल और तांबा बनाते हैं.

H2 +CuSO4 -> H2SO4 + Cu++

डेनियल सेल में कॉपर सल्फेट की पावर को बनाए रखने के लिए कुछ टुकड़े कॉपर सल्फेट के रख दिए जाते हैं.

2.सेकेंडरी सेल ( Secondary Cell )

ऐसी Cell जिनमें पहले इलेक्ट्रिकल एनर्जी दी जाती है.  यह इलेक्ट्रिकल एनर्जी बदलकर रासायनिक एनर्जी बन जाती है . सेल में स्टोर हो जाती है. जब हमें जरूरत होती है तो दोबारा से हम केमिकल एनर्जी को इलेक्ट्रिकल एनर्जी में बदलकर आवश्यकता अनुसार इस्तेमाल कर सकते हैं. इस प्रकार के सेल को सेकेंडरी सेल कहते हैं. सेकेंडरी सेल की यही विशेषता है कि उसे हम बार-बार चार्ज करके इस्तेमाल कर सकते हैं.

जब सेल में इलेक्ट्रिकल एनर्जी दी जाती है तो इसे सेल की चार्जिंग कहा जाता है और सेल में यह इलेक्ट्रिकल एनर्जी रसायनिक एनर्जी में बदल जाती है और स्टोर हो जाती है. सेकेंडरी सेल का इस्तेमाल ऐसी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के लिए किया जाता है जिसे बार-बार सेल की जरूरत पड़ती है. ऐसी डिवाइस के लिए हम प्राइमरी सेल का इस्तेमाल नहीं कर सकते क्योंकि उन्हें हर रोज सेल की आवश्यकता होती है. इसीलिए वहां पर सेकेंडरी सेल का इस्तेमाल किया जाता है. सेकेंडरी सेल का इस्तेमाल फोटोग्राफी कैमरा में आपको देखने को मिलेगा. इसके अलावा यह सेल इमरजेंसी लाइटिंग टेलीफोन इत्यादि में भी इस्तेमाल किए जाते हैं.

सेकेंडरी सेल के फायदे

  1. सेकेंडरी सेल को बार-बार रिचार्ज किया जा सकता है
  2. सेकेंडरी सेल की एनर्जी स्टोरेज करने की क्षमता बहुत अधिक होती है और इसे लंबे समय तक चलाया जा सकता है.
  3. सेकेंडरी सेल एक सामान्य प्राइमरी सेल के मुकाबले कहीं ज्यादा समय तक एनर्जी देता है
  4. सेकेंडरी सेल का आंतरिक प्रतिरोध बहुत कम होता है.

इस पोस्ट में आपको इलेक्ट्रिक सेल विद्युत सेल सेल किसे कहते है डेनियल सेल क्या है प्राथमिक सेल शुष्क सेल क्या है लवण सेतु क्या है व्हाट इस इलेक्ट्रिक सेल से संबंधित पूरी जानकारी देने की कोशिश की है. यह जानकारी एक सामान्य व्यक्ति को और एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग करने वाले विद्यार्थी को पता होना बहुत ही जरूरी है तो अगर आपको यह जानकारी फायदेमंद लगे तो अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करें . और अगर इसके बारे में आपका कोई भी सवाल या सुझाव हो तो नीचे कमेंट करके जरूर बताएं .

3 thoughts on “Electric Cell क्या होता है और यह कितने प्रकार का होता है”

  1. vivek kimar dwivedi

    Dear respected sir bahut hi achhi jankari mili mai bahut khus hua bcoz ye jankari hme pta ni thi…..a lot of tnx sir ……May you live long ……God bless you

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